भारत का दिल कही जाने वाली राजधानी दिल्ली में लगातार होने वाले जानलेवा बम धमाकों से अफ़रा-तफ़री मच जाती है। अपने पीछे बर्बादी के निशान छोड़ जाने वाले लगातार हो रहे बम धमाकों ने आम नागरिकों के मन में डर और दहशत पैदा कर दी है। शहर की शांति भंग हो चुकी है और अपराधियों को पकड़ने की ज़िम्मेदारी दिल्ली पुलिस के बहादुर अधिकारियों पर है।
गुजरात एटीएस चीफ़ तारा शेट्टी की मदद से विक्रम और कबीर सबूतों की छानबीन करते हैं लेकिन जाँच पड़ताल में रुकावटों की वजह से उनकी परेशानियाँ जारी रहती हैं। केस में अचानक एक मोड़ आता है और आतंकवादियों के फ़ोन से की गई फ़ोन कॉल से एक सुराग मिलता है जो दिल्ली पुलिस को उन आतंकवादियों की जगह का पता लगाने में मदद कर सकता है।
जैसे ही कबीर और उसकी टीम गोवा में अपनी जाँच शुरू करते हैं, उन्हें एक सफलता मिलती है। इसी बीच, ज़रार और उसका भाई सिक्कू शहर में अराजकता फैलाने की तैयारी करते हैं और बड़े धमाकों की तैयारी करते हैं। एक बड़ी दुर्घटना होती है। जैसे ही एपिसोड अंत के करीब पहुँचता है नफीसा की माँ के बारे में मिली जानकारी पुलिस बल को चौंका देती है और ज़रार के इरादों को जानने में मदद करती है।
कबीर दरभंगा पहुँचता है और नफीसा को ज़रार की असलियत बताता है। नफीसा इस राज़ को जानकर बेहोश हो जाती है और कबीर उसे हॉस्पिटल लेकर जाता है। ज़रार की असलियत जानने के बाद नफीसा खुद को पुलिस के हवाले कर देती है और बता देती है कि ज़रार बांग्लादेश में है। कबीर तारा शेट्टी के साथ होम मिनिस्टर से ज़रार को वापस लाने के लिए सीमा पार के ऑपरेशन की मंजूरी लेने के लिए दिल्ली जाता है।