आग लगने के मामले में पुलिस गिरफ़्तारियां तो करती है, पर पीड़ित परिवारों के एसोसिएशन को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कृष्णमूर्ति कपल को एक ऑफ़र मिलता है।
आखिरकार मामला अदालत में पहुंचता है, लेकिन प्रोसिक्यूटर का ढुलमुल रवैया चिंता बढ़ा रहा है। जिस दिन आग लगी थी, थिएटर का एक मुलाज़िम अपना कर्ज़ नहीं चुका पाता है।
नीलम दोराहे पर खड़ी है। शेखर एक पुराने दोस्त से मिलता है, जो आग लगने की घटना से अनजान है। "बॉर्डर" का प्रीमियर होता है, वहीं सेना का एक कैप्टन पछतावे में डूबा है।