रश्मी और धरम अपने पनपते प्यार का मज़ा लेते हैं। साथ पढ़ने वाला अंगद प्यार का मज़ाक उड़ाता है। शादीशुदा प्रोफ़ेसर सरिता और अख्तर का रिश्ता कमज़ोर होता जा रहा है।
अख्तर एक पुरानी दोस्त से जुड़ता है, सरिता को बर्दाश्त नहीं होता। प्ले की रिहर्सल करते हुए रश्मि और अबोध पास आते हैं। अंगद मजनू बने शॉन्टू की मदद करने के लिए राज़ी होता है।
सरिता एक बड़े फ़ैसले के बारे में सोच रही है। ताकत हासिल करने के लिए बेचैन धरम एक लोकल गुंडे से मिल जाता है, जो उसे यूनिवर्सिटी इलेक्शन में खड़ा होने के लिए मना लेता है।
ममता को इंप्रेस करने के लिए, शॉन्टू स्टूडेंट कम्युनिस्ट पार्टी जॉइन कर लेता है। शॉन्टू लगातार अंगद से खफ़ा है। घरेलू हिंसा की घटना से मुमताज़ का गुस्सा फूट पड़ता है।
जब ममता प्रेसिडेंट बनने की दौड़ में शामिल होती है, तब धरम उसे डराने की कोशिश करता है। झगड़े के बाद सरिता और अख्तर एक अजीब फ़ैसला करते हैं।
इलेक्शन के बाद, धरम का गुस्सा उसे रश्मि, अंगद और बाबू भैया से दूर कर देता है। रश्मि, अंगद को दिल का हाल बताती है। सुधाकर और मुमताज़ एक नई शुरुआत करना चाहते हैं।
आगरा में, बढ़ते जुर्म के बीच सरिता और अख्तर की मुलाकात दो जोड़ों से होती है। दुख और जीत के बाद, हर प्रेम कहानी एक नया मोड़ लेती है।