ना चाहते हुए भी अभिषेक त्रिपाठी ग्राम पंचायत कार्यालय में पंचायत सचिव का कार्यभार संभालने के लिए फुलेरा पहुँचता है। हालाँकि, काम पर उसका पहला दिन उसकी सोच से भी कहीं ज्यादा बुरा रहा।
लगातार बिजली जाने से अभिषेक की कैट की तैयारी में बाधा आती है, वह इस मामले को अपने हाथों में लेने का फैसला करता है। उसे शायद नहीं पता था कि वह किसके खिलाफ खड़ा है।
अपनी जिंदगी आसान बनाने के लिए अभिषेक एक नई आरामदायक कुर्सी खरीदता है, जिसमें "चक्के" होते हैं। ऐसा करने में, वह अनजाने में पंचायत कार्यालय के पावर बैलेंस को बिगाड़ देता है।
आखिरकार, जिस कैट परीक्षा का सबसे ज़्यादा इंतज़ार था वो नज़दीक आ जाती है। जब अभिषेक अपने काम और पढ़ाई के बीच सामंजस्य बैठाता जूझता है, प्रधान जी उसे अपनी बेटी के संभावित दूल्हे के रूप में देखते हैं। क्या वह सही विकल्प है?
कैट में अपने प्रदर्शन से निराश अभिषेक अपनी वास्तविकता को स्वीकार करने की कोशिश करता है। हालांकि, उसने सोचा भी नहीं था कि उसे यह प्रेरणा अप्रत्याशित तरीके मिलेगी।
अभिषेक अतिउत्साही मंजू देवी द्वारा खराब की गई डील को बचाने की कोशिश करता है। प्रह्लाद और विकास अभिषेक और रिंकी के बारे में अपने शक के कारण परेशान होते हैं।
अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी से लड़ाई में हारने के डर से प्रधान जी एक मुश्किल फैसला करता है। परेशान अभिषेक आसपास के लोगों से भावनात्मक रूप से खुद को अलग करने की कोशिश करता है।
Abhishek returns with the resolve of staying away from the village politics. Fearing the loss of public reputation, Pradhan and Manju Devi need Abhishek's help to handle a rebel.
After Bhushan senses an opportunity to attack Pradhan, Abhishek jumps into damage control mode. Prahlad doesn't like the way Pradhan uses Abhishek for political benefit.
The final blow to Pradhan's reputation comes after he gets accused of partiality in a welfare scheme implementation. Meanwhile to topple Pradhan's rule, Bhushan allies with the MLA.
Manju Devi reluctantly agrees to Bhushan's proposal of entering into a peace agreement with the MLA. Abhishek too gives his nod as it's impossible to get the road built without MLA's support.
To fix their dented image, the Pradhan gang sets a trap to capitalize on a lethal mistake committed by the MLA. Amidst all the political chaos an unexpected news brings joy to the Pradhan gang.
Finally, Pradhan rallies the whole Phulera behind him to fight one last battle for glory. Abhishek finds himself too deep into the murky waters of village politics and loses his objectivity.