अपने जन्म स्थान कश्मीर से बहुत दूर मुंबई के एक महंगे अपार्टमेंट में लाली एक कुक और उसका पति लुत्फी, एक सिक्योरिटी गार्ड है। लंबे दिन ख़त्म होते हैं आइस क्रीम खाने से, एक ही कप में दो चम्मच डालकर – जब तक अचानक लुत्फी उसे धोखा देकर, उसके दिल और सपनों को तोड़कर चला नहीं जाता। वो पीछे छोड़ जाता है तो सिर्फ़ अपनी पुरानी साइकल। क्या लाली और उसकी साइकल एकसाथ पुल पार कर एक बेहतर ज़िंदगी की ओर बढ़ पाएँगे?
रूढ़िवादी परिवार में पला मंजू एक गे है, जो दो लोगों के प्यार, अपने पार्टनर और अपनी बाई, उसकी बहुत ही बीमार दादी जो उससे बहुत प्यार करती हैं, के बीच में फँसा है। जब वो उनसे मिलने अपने पुश्तैनी मकान में पहुँचता है, तब अतीत उसके सामने आकर, उसके बचपन के दर्द और परेशानी में वापस ले जाते हैं जिन्हें वो कब का पीछे छोड़ चुका था। इतने सालों बाद, क्या मंजू बाई को सब कुछ बताने की हिम्मत कर पाएगा?
लगभग तीस साल का एक लड़का, लगभग साठ साल की औरत से कन्फ़ैस करता है कि वो उससे सेक्शुअली आकर्षित है। माई ब्यूटीफूल रिंकल्स दिलबर सोढ़ी की ज़िंदगी के उन कुछ दिनों की कहानी है, जब वो इस कश्मकश को झेल रही है कि एक जवान आदमी का उसमें सेक्सुअल इंटरेस्ट है। वो तड़प उठती है। पर ये उसे अपने अतीत के बोझ से निकलने और ज़िंदगी की खुशियों को दोबारा ढूँढ़ने वाले रास्ते पर ले आता है, रिंकल्स के होते हुए भी।
आई लव ठाणे साईबा की यात्रा के बारे में है जो ऑनलाइन डेटिंग के पीछे भागते आदमियों के बीच एक सही मॉडर्न आदमी खोज रही है। हालाँकि, ज़िंदगी के उसके लिए कुछ अलग ही प्लान हैं, जब वो एक ऐसे आदमी से मिलती है जो वो ‘मॉडर्न मैन’ नहीं है जिसे वो ढूँढ रही थी पर वो हमेशा साथ रहने वाला है। यह है साईबा का मॉडर्न प्यार जो किसी मॉडर्न मैन से नहीं होता।
लगभग ४0 साल की लतिका, फँसा हुआ महसूस करती है शादी-बच्चों वाली नीरस ज़िंदगी और एक नोवेलिस्ट बनने के अधूरे सपने के बीच। घटनाओं से भरे एक दिन वो अपने जीवन में किए फैसलों पर फिर से विचार करती है। यहाँ तक कि अपनी शादी पर भी। जब कुछ खट्टी-मीठी यादें और ‘यूँ होता तो क्या होता’ की कल्पनाएँ उसके दिमाग में उठती हैं, तो उसे समझ आता है कि अतीत पर सवाल उठाना बेकार है और सारे जवाब उसके अंदर ही हैं।