2006 में दिल्ली की एक जेल के बाहर कोई अजनबी, एक सिर कटी हुई लाश छोड़ जाता है। साथ ही उसे पकड़ने की चुनौती देता पुलिस के नाम एक खत भी। यह उसका पहला कत्ल नहीं है, और आखिरी भी नहीं।
घोषई के निवासी, चंद्रकांत के अतीत से जुड़े खतरनाक किस्से सुनाते हैं और तस्वीरें दिखाते हैं। कुछ एक्सपर्ट आपस में आरोपी की मानसिक स्थिति और सामाजिक प्रभावों पर चर्चा करते हैं।