अविनाश और आभा की खुशहाल ज़िंदगी में भूचाल आता है जब उनकी छेह साल की बेटी सिया का अपहरण होता है। महीनों बीत जाते हैं, सारी उम्मीदें ख़त्म होने लगती हैं, तभी अपहरणकर्ता की तरफ से फिरौती की ग़ैरमामूली मांग की जाती है। सिया की ज़िंदगी के बदले फिरौती में पैसा नहीं, किसी की ह्त्या करने का निर्देश है! क्या अविनाश अपनी बेटी को बचाने के लिए किसी अजनबी की जान लेगा?
वक़्त बीतता जा रहा है, अविनाश और आभा को गलत रास्ते पे जाना पड़ता है। अविनाश अपनी कशमकश पर काबू पाता है और अपनी साइकियाट्रिक काबिलियत से अपने टारगेट की हत्या का फ़ैसला करता है। कबीर अतीत की भूलसुधार की कोशिश करता है और मुंबई से दिल्ली क्राइम ब्रांच में ट्रान्सफ़र करवाता है मगर किस्मत को कुछ और मंज़ूर था। उसे अविनाश के हाथों हुई हत्या की तहकीकात का काम दिया जाता है।
अविनाश और आभा के हाथ खून से रंगे हैं और उनका धीरज ख़त्म हो रहा है, वो सिया से मिलने को बैचैन हैं। छानबीन करते वक़्त, कबीर को अहम् सुराग मिलता है। अविनाश को लगने लगता है वो फंस सकता है। उसे एक और झटका तब लगता है जब अपहरणकर्ता एक नई मांग सामने रखते हैं- एक और अनअपेक्षित टारगेट के क़त्ल की मांग! अविनाश को अगर अपनी बेटी चाहिए तो उसे ये क़त्ल करने होंगे।
कबीर दिल्ली में नए केस का काम संभालता है मगर उसके आखरी केस की याद उसे चैन नहीं लेने देती। अपहरणकर्ता माइंड गेम खेलता है और इस बार, अविनाश एक नामुमकिन स्थिति का सामना करता है जब तक आभा एक दुस्साहसी कदम नहीं उठाती। अविनाश को लगता है उसके और उसके शिकारों के बीच कोई सम्बन्ध है। क्या अपहरणकर्ता के शिकारों और उसके बीच का सम्बन्ध जानने के लिए अविनाश की कोशिशें रंग लायेंगी?
एक अनपेक्षित स्रोत से कबीर को मिले अहम सुराग के साथ वो केस की तह तक जाता है। सिया और गायत्री बाल बाल बचते हैं और अपहरणकर्ता के गुस्से से बमुश्किल बच पाते हैं। आभा अगले शिकार के साथ एक ख़तरनाक खेल खेलती है, पर कत्ल की फूहड़ कोशिश के विनाशकारी नतीजे निकलते हैं। एक बड़ा खुलासा होता है जो जवाबों से ज़्यादा सवाल उठाता है और केस की बुनियाद ही बदल सकती है।
गहरी बैठी मानसिकता सामने आती है जो सरफिरे अपहरणकर्ता से सब करवाती है। राज़, जो अपहरणकर्ता के दिमाग में घर किये हुए हैं, सामने आते हैं जो और ज़्यादा खून बहाने की मांग करते हैं। इधर कबीर की आक्रामक शैली पसंद नहीं की जाती, उसका डिपार्टमेंट उसके खिलाफ़ होता है। आभा और अविनाश अगला कदम उठाते हैं और एक और कत्ल करते हैं, वो इस बात से अनजान हैं कि उन्होंने मुसीबतों के लिए दरवाज़ा खोला है!
हत्याओं पर मीडिया की कड़ी नज़र का कबीर और टीम पर ज़बरदस्त दवाब है। इसके चलते, कबीर जीजान लगाकर पहेली के टूटे सिरे जोड़ता है। उसे अहम सुराग मिलता है जो अविनाश के बेटी को बचाने के मिशन को खतरे में डालता है। इस दौरान, एक रहस्यमयी औरत अपहरणकर्ता की ज़िंदगी में आती है और खतरनाक होने का अनोखा नुस्खा बताती है। अगले शिकार का नाम सांझा किया जाता है जो अविनाश के लिए अब तक का सबसे मुश्किल क़त्ल है।
अपहरणकर्ता पर शिकंजा कसता है और वो उसकी ज़िन्दगी में आई रहस्यमयी अजनबी शर्ली की मदद से खुद को खतरे से बचा लेता है। अविनाश के सामने अचानक कबीर आता है जो उसके उस कवर को उड़ा सकता है जो उसे शिकार तक ले जाता। क्राइम ब्रांच की अंदरूनी पॉलिटिक्स कबीर को अपहरणकर्ता को पकड़ने नहीं देती। अब सारा खेल होगा इस पार या उस पार।
कबीर अविनाश की ऐलेबाय को हर तरफ से जांचता, कुरेदता और नुक्स निकालकर उसे परेशान करता है। क्राइम ब्रांच की ज़ेबा मीडिया को उकसाकर कबीर को अपने गुस्से का निशाना बनाती है। अपहरणकर्ता की उलझी मानसिकता का मूल कारण सामने आता है जिससे कत्लों के सिलसिले की वजह पता चलती है। और उधर सिया और गायत्री नकाबपोश अपहरणकर्ता के साथ संघर्ष करती हैं।
सारा मामला आखरी दौर पर आता है, अपहरणकर्ता अपने अंदरूनी दिलचस्प सफ़र का सटीक मास्टरप्लान बताता है। ज़ेबा की लगाईं चिंगारी से आग भड़कती है और कबीर क्राइम ब्रांच से सस्पेंशन का सामना करता है। कबीर आभा से सवाल करता है क्योंकि संदेह बना हुआ है। कबीर के जेल के घाव उसे परेशान करते हैं, जब उसे केस से हटाया जाता है। अविनाश मिशन के आखरी दौर में कदम रखने के लिए तैयार है।
आभा की दुनिया बिखर जाती है जब उसे शक होता है, अविनाश उससे बेवफ़ाई कर रहा है। कबीर अपहरणकर्ता के दुखदायी अतीत की तह तक जाकर केस सुलझा लेता है मगर क्या उसने बहुत देर कर दी? आभा अपहरणकर्ता के अड्डे तक पीछा करती है जहां उससे उसकी किसी की दिलदहलाने वाली मुलाक़ात होती है। कबीर वक़्त पर पहुंचता है मगर क्या वो सब संभाल लेगा? और क्या अविनाश और आभा सिया को बचा लेंगे?
अविनाश का इलाज कर रहें डॉक्टरों को विश्वास है कि वह पूरी तरह से ठीक होने लगा है और जे का अस्तित्व पूरी तरह से निष्क्रिय है। सभरवाल परिवार के लिए प्यार भरे जन्मदिन पर मिलना डरावना हो जाता है जब जे अचानक फिर से सिर उठा लेता है और अचंभित आभा के सामने एक प्रस्ताव रखता है। चीज़ें एक अजीब मोड़ ले लेती हैं जब अविनाश को एक रहस्यमय व्यक्ति मेडिकल फेसिलिटी से किडनैप कर लेता है जो कि जे का पुनर्जन्म लगता है।
अविनाश के किडनैपर की पहचान सामने आती है और वह जे का बहुत बड़ा फैन और साथी कैदी, विक्टर होता है। कानून प्रवर्तन प्रणाली के साथ कबीर के सम्बंध और मुश्किल होते जाते हैं क्योंकि उसका सामना एक नए सुपीरियर, कौल से होता है, जो गलत इरादों से काम करता है। जैसे ही कबीर भागे हुए अविनाश के मामले को आगे बढ़ाता है, एक रिटायर्ड डॉक्टर रावण हत्यारे के लिए नए लक्ष्य के रूप में सामने आती है।
अपने बचपन के सदमे से लड़ते हुए, विक्टर जे की पागलपन भरी योजना को लगन से अंजाम देता है और रावण का अगला सिर गिरने को तैयार है। एक डिपार्टमेंटल ऑर्डर का विरोध करते हुए कबीर एक बार फिर अपने सुपीरियर के साथ टकराव में है। अविनाश के कबीर के बिलकुल करीब से छुट जाने पर छूकर निकल जाने वाली बात होती है। अविनाश और जे आभा को अलग-अलग दिशाओं में खींचते हैं जब वह सिया को चोट पहुँचने से बचाती है।
कबीर अविनाश और उसके नए रहस्यमयी साथी के करीब पहुँच जाता है लेकिन इतना भी करीब नहीं। जे और विक्टर अब तक की सबसे खतरनाक हत्या को अंजाम देते हैं जब अंधे विक्टिम के लिए अविनाश की सहानुभूति उन्हें नैतिकता के चौराहे पर ले जाती है। विक्टर आभा को पुलिस के सामने बेनकाब करने की अपनी योजना को तेज करता है, जबकि कबीर अब अपने ही गेम प्लान के साथ फंदा कसने के लिए तैयार है।
हताश शर्ली कबीर के साथ एक सौदा करती है, जिसके कारण कबीर के अधिकार क्षेत्र से दूर इलाके में जे की गिरफ्तारी होती है। ये जे का बनाया एक और मास्टर प्लान साबित होता है क्योंकि सबके सामने बच के निकलने से पहले, लोकल जेल अविनाश की हत्या की नई जगह बन जाती है। कबीर का सब्र समाप्त हो जाता है और वह अविनाश के भाग जाने की खबर को पब्लिक कर देता है, जिससे पूरे देश में डर की लहर दौड़ जाती है।
कबीर हताश होकर आभा के घर आता है और मामले को सुलझाने के लिए लड़खड़ा रहा होता है। आभा कौल के हाथों अपमान सहती है और डरने की बजाय, सिया की रक्षा करने के अपने मकसद में और मजबूत हो जाती है। विक्टर और जे अशान्ति फैलाने का एक शातिर खेल खेलते हैं और असली शिकार को एक और हत्या करने के लिए कुशलता से फँसा लेते हैं।
जे अनोखी दुविधा में है क्योंकि नया विक्टिम पहले ही खुद को मार लेता है। आखिरी इमोशन वाले सारे रास्ते रावण के सिर की ओर बढ़ते हैं तो एक नहीं, दो शिकार सामने आते हैं। दशहरा कबीर और जे के बीच युद्ध का आखिरी मैदान बनता है। कबीर आराम की साँस ले इससे पहले एक बड़ी घटना से पता चलता है कि सब खत्म नहीं हुआ क्योंकि जे का आखिरी दाँव शुरू हुआ है। रहस्यमयी सी-16 इस सीजन के फिनाले में अपनी भूमिका निभाता है।