दान, किसी की भूख मिटाना दिखावटी दान से श्रेष्ठ है। नेवले, कुबेर, बलिराज और हनुमान की कहानियों के माध्यम से, देवदत्त पटनायक बताते हैं कि कैसे एक प्राप्तकर्ता को अपनी जरूरतों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए, न कि केवल दान पर निर्भर होना चाहिए।
Daan, satisfying someone’s hunger is superior to a pretentious donation. Through the stories of Mongoose, Kubera, Baliraja, and Hanuman, Devdutt Pattanaik explains how a recipient must be responsible for their needs, and not depend on charity alone.