7 अगस्त 1941 को रवींद्रनाथ टैगोर का निधन हुआ था. इन 80 सालों में टैगोर का रचना संसार फैला ही है. उन रचनाओं में जिस संसार की कल्पना की गई है वो शायद नजर न आता हो. 120 साल पहले 5 अगस्त के दिन लिखी गई उनकी रचना टैगोर के पाठक संसार में घूमने लगी. जिससे पता चलता है कि उनकी प्रासंगिकता कितनी है.